किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए॥ निदा फ़ाज़ली
चाईल्ड लाइन की शुरुआत उड़ान सोसाइटी ने शायद इसी मकसद से की है| एक ऐसी फ़ोन सेवा जो किसी भी बच्चे को उसकी परेशानी में पड़ने पर २४ घंटे मदद के लिए उपलब्ध रहेगी | और पिछले दिनों में चाईल्ड लाइन की टीम कई बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवार से मिला भी चुकी है| बहुत सुखद अनुभूति है| लेकिन दोस्तों दो बच्चे ऐसे भी मिले जिसमें एक के परिवार में कोई था ही नही और उसके निकटवर्ती रिश्तेदारों ने उसे लेने से इनकार कर दिया, दूसरा दिमागी रूप से थोडा कमजोर था इसलिए अपना पता नहीं बता पाया, दोनों बच्चों को चाइल्ड लाइन की टीम को बड़े बुझे मन से शेल्टर होम छोड़ना पड़ा, जिसका दुख उन्हें आज भी है | प्यारे दोस्तों ये सब आपके उड़ान पर भरोसे का है फल है की हम अपने मकसद में दो कदम और आगे निकल गए है, लेकिन अभी बहुत रास्ते और सफ़र तय करना बाकी भी हैं |
3 comments:
जो बीच राह मैं बैठ गए ,वो बैठे ही रह जातें है.
जो लगातार चलते रहते ,वो निशचय मंजिल पातें है
प्यारे दोस्तों ये सब आपके उड़ान पर भरोसे का है फल है की हम अपने मकसद में दो कदम और आगे निकल गए है, लेकिन अभी बहुत रास्ते और सफ़र तय करना बाकी भी हैं .
आपकी सुभकामना हमारे साथ रहेंगी तो मंजिल जरूर मिलेगी .
ललित उपाध्याय
सचिव उड़ान सोसाइटी
आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है. धन्यवाद
ललित उपाध्याय
सचिव उड़ान सोसाइटी
अभी अभी खबर मिली है कि फादर जोस अकरा जो अलीगढ़ में अनाथालय चलाते हैं उनके यहाँ अलीगढ़ के दो बच्चे हैं उन्होंने बल कल्याण समिति के माध्यम से निवेदन किया ही कि चाइल्ड लाइन उन बच्चों के घर खोजने में मदद करे | सहर्ष स्वीकार !!!!
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